पटना, 24 अक्टूबर 2025।
बिहार विधानसभा चुनावों के बीच सत्ता का समीकरण और सस्पेंस दोनों गहराते जा रहे हैं। एनडीए गठबंधन के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। भाजपा ने आधिकारिक रूप से अब तक किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान ने राजनीतिक हलचल और बढ़ा दी है। शाह ने स्पष्ट किया है कि “मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव परिणाम आने के बाद किया जाएगा।”
इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में अटकलों का दौर तेज हो गया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा अब नीतीश कुमार को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के मूड में नहीं है। वहीं, जदयू और भाजपा के बीच अंदरूनी मतभेद और सीट बंटवारे की खींचतान से यह गठबंधन और अधिक जटिल होता दिख रहा है। सूत्रों का कहना है कि एनडीए के भीतर ‘आपसी अविश्वास’ और ‘घात-प्रतिघात’ की स्थिति बनी हुई है, जहां छोटी सहयोगी पार्टियां भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं।
गौरतलब है कि अब तक एनडीए की किसी भी पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार औपचारिक रूप से घोषित नहीं किया है। ऐसे में मतदाताओं के बीच यह सवाल उठ रहा है कि भाजपा का असली चेहरा कौन होगा कोई नया चेहरा, कोई “भूंजा पार्टी गैंग” से, या फिर कोई अप्रत्याशित नाम?
इस राजनीतिक अनिश्चितता के बीच, विपक्ष ने एनडीए पर तीखा हमला बोला है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने जनता से अपील की है कि “इस बार बिहार को अस्थिरता और अहंकार से मुक्त करें। बीजेपी और एनडीए के सिरफुटव्वल पर वोट बर्बाद न करें, बल्कि स्थिरता और रोजगार की राजनीति को मौका दें।”
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरे की अस्पष्टता भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है, जबकि राजद इसे अपने पक्ष में माहौल बनाने के अवसर के रूप में देख रही है।
